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कोरोना टेस्ट कराने वालों को अब 2 परिचितों के मोबाइल नंबर भी देने होंगे, ताकि उनकी निगरानी हो सके

 

सरकारी और निजी सेंटरों में कोरोना टेस्ट करवाने वालों को अब अपने मोबाइल नंबर के साथ 2 अन्य परिचितों के फोन नंबर देने वहां देने होंगे। टेस्ट करवाने वाले का मोबाइल बंद होने पर ट्रेसिंग सेंटर से उनके परिचितों को कॉल किया जाएगा। प्रशासन के पास लगातार इस तरह की शिकायतें बढ़ रही हैं कि लोग जांच में पॉजीटिव आने के बाद या तो अपना फोन बंद कर रहे हैं या गलत नंबर लिखवा रहे हैं।

अब ऐसा कोई न करें, अगर करे भी तो उनके परिचितों के माध्यम से उनकी निगरानी की जा सके, इसके लिए जांच के समय ही दो परिचितों के मोबाइल नंबर मांगे जाएंगे। जिला प्रशासन के निर्देश के बाद पिछले हफ्ते ही ऐसे 19 लोगों पर एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए गए हैं, जिन्होंने टेस्ट करवाने के बाद अपना मोबाइल नंबर या तो बंद कर दिया है या गलत नंबर दिया है। स्वास्थ्य और जिला प्रशासन के अफसरों ने बताया कि एफआईआर करवाने के बाद भी लोग मोबाइल नंबर बंद करने या गलत नंबर देने से बाज नहीं आ रहे हैं।

अभी भी जांच केंद्रों से लगातार इस बात की जानकारी मिल रही है कई लोग नाम, पता और मोबाइल नंबर गलत दर्ज करवा रहे हैं। इससे कांटेक्ट ट्रेसिंग करने में सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। कोरोना पॉजीटिव की सूचना मिलने के 6 घंटे के भीतर मरीज को होम आइसोलेशन या अस्पताल में भर्ती कराने के साथ ही उसके संपर्क में आए लोगों की पहचान करना है। ऐसा हर केस में नहीं हो पा रहा है नाम, पता और मोबाइल नंबर गलत होने की वजह से ऐसे किसी भी व्यक्ति की पहचान नहीं हो पा रही थी। इस वजह से प्रशासन ने नया सिस्टम बनाया है।

बीमारी छिपाकर दूसरों को किया संक्रमित
कांटेक्ट ट्रेसिंग सेंटर से ऐसे कई लोगों की पहचान की गई है जिन्होंने बीमारी छिपाने के साथ ही दूसरों को भी संक्रमित कर दिया है। इन सबकी भी सूची तैयार की जा रही है। इनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। स्थिति को देखते हुए एफआईआर तक दर्ज कराई जा सकती है। इधर दूसरी ओर कांटेक्ट ट्रेसिंग के काम से गायब रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों ने कंट्रोल रूम में आमद देनी शुरू कर दी है। कलेक्टर की ओर से जारी नोटिस के बाद कर्मचारी कांटेक्ट ट्रेसिंग के काम पर लौट रहे हैं। कलेक्टर ने उन्हें 3 दिन का समय दिया है। इसके बाद कोई अधिकारी या कर्मचारी काम पर नहीं लौटता है तो उसका निलंबन का आदेश जारी कर दिया जाएगा।

कोरोना मरीजों के फोन स्विच ऑफ, सिर्फ एक ही मोबाइल कंपनी दे रही लोकेशन की जानकारी
शहर में हर दिन ट्रेसिंग से छूट रहे मरीजों का औसत लगातार बढ़ रहा है। पॉजिटिव आने के बाद अनट्रेस मरीजों में फोन बंद करने वालों की संख्या ही 20 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इस वजह से पॉजिटिव लोगों की कांटेक्ट ट्रेसिंग करने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर में मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर यानी दूरभाष कंपनियों में से केवल एक ही कंपनी ऐसी है जो स्विच ऑफ फोन की लोकेशन की जानकारी स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की ओर से जानकारी मांगने पर दे रही है। बाकी कंपनियां स्विच ऑफ फोन की लोकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रही है। कोरोना की पहली दो लहरों में ट्रेसिंग के लिए सभी मोबाइल कंपनियां स्विच ऑफ फोन के लोकेशन दे रही थी। जबकि इस बार ऐसा नहीं हो रहा है।अब ट्रेसिंग के लिए सभी मोबाइल कंपनियों को स्विच ऑफ नंबरों के लोकेशन की जानकारी देने के लिए निर्देश दिया जाएगा। उसके बाद ट्रेस करने में दिक्कत नहीं होगी।

होम आइसोलेशन में रजिस्ट्रेशन नहीं तो अटकेगा सर्टिफिकेट
होम आइसोलेशन में मरीज ने खुद को पोर्टल या एप के जरिए या कंट्रोल रूम के संपर्क करने के बाद रजिस्टर्ड नहीं करवाया तो उन्हें सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किए जाएंगे। इस बार प्रशासन ने घर से इलाज के बाद डिस्चार्ज होने वाले मरीजों के लिए इस नियम में सख्ती कर दी है। केवल रजिस्ट्रेशन करने वाले मरीजों को ही डिस्चार्ज सर्टिफिकेट दिए जाएंगे। वहीं अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के बारे में सभी अस्पतालों को अनिवार्य रूप से जानकारी देने के लिए पहले ही कहा गया है।




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