पामगढ़ जपं सीईओ की सरकारी गाड़ी में जांजगीर तक ढो रहे यात्री
सरकारी वाहन का किस कदर दुरुपयोग किया जा रहा है। इसका उदाहरण पामगढ़ जनपद पंचायत सीईओ के वाहन में देखा जा सकता है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई की जनपद पंचायत सीईओ को दौरा करने के लिए मिले सरकारी वाहन का उपयोग निजी उपयोग के लिए किया जा रहा है।
पामगढ़ जपं सीईओ की गाड़ी में जांजगीर तक यात्री ढो रहे है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी भनक संबंधित अफसर नहीं होने की बात कह रहे हैं।
जिले के कुछ अफसर सरकारी वाहन का निजी उपयोग खुलेआम कर रहे हैं। पत्रिका के पड़ताल में ऐसी ही कुछ मामला सामने आया है। पामगढ़ जनपद पंचायत सीईओ को सरकारी वाहन मिला है। इसमें गाड़ी के सामने में नंबर के ऊपर बकायदा उसका पदनाम डिप्टी कलेक्टर व सीईओ बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है। भले ही आपको नंबर दिखाई न दे लेकिन पदनाम स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। सरकारी वाहन देने का मतलब है कि इसका उपयोग सरकारी कामों के लिए दौरा वगैरहा करने के लिए दिया जाता है। लेकिन इसका खुलेआम दुरुपयोग छुट्टी के दिन हो रहा है। छुट्टी के दिन सरकारी वाहन में धड़ल्ले से यात्री ढोए जा रहे है। पत्रिका की टीम ने देखा की जनपद पंचायत सीईओ की वाहन में पामगढ़ में जांजगीर मोड़ के पास आधा दर्जन आम यात्रियों को बैठाया गया। इसके बाद पत्रिका की टीम ने इस वाहन जांजगीर तक पीछा किया। इसमें कुछ यात्री जांजगीर जेल के उतरे। वहीं इसके बाद यह वाहन आगे बढ़ा और इसमें बैठे अन्य बाकी बचे कचहरी चौक में उतरे। माने छुट्टी के दिन इस सरकारी वाहन में बाहरी खर्चा निकालने का काम भी धड़ल्ले से जारी है। वाहन में बकायदा जपं सीईओ का चालक ही वाहन चला रहा था। यह खुलेआम सरकारी वाहन का दुरुपयोग नहीं तो क्या है। इस तरह यात्री ढोने के लिए २० से २५ किलोमीटर का सफर किया जा रहा है। आने जाने यात्री ढोने में सरकारी चालक के अलावा सरकारी पेट्रोल का भी उपयोग किया जा रहा है। इसमें जपं सीईओ के वाहन में सरकार द्वारा हर महीने चालक, पेट्रोल व वाहन किराया मिलाकर हजारों रुपए खर्च किया जा रहा है। हालांकि इस संबंध में संबंधित अफसर जानकारी नहीं होने की बात कह रहे हैं। लेकिन यह सरकारी वाहन का दुरुपयोग करते हुए निजी उपयोग में लाते हुए अपने लाभ के उपयोग करना है। सरकार द्वारा किए गए खर्च का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है।
क्या कहता है नियम
सरकारी वाहन का आबंटन शासकीय कामों के लिए ही किया जाना है। वाहन सड़क पर निकलता है तो उसमें उस अधिकारी का मौजूद होना जरूरी है, जिसके लिए वाहन है। वाहन में परिवार के लोग या यात्री को ढोना शासकीय मोटर एक्ट के तहत गलत है। इसके लिए जुर्माने का भी प्रावधान है। सरकारी वाहन आबंटित अफसर, अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि न केवल वाहन का सही उपयोग करें, बल्कि उपयो इस भांति हो कि जन साधारण को यह न लगे की वाहनों का दुरुपयोग हो रहा है।
वर्जन
चालक द्वारा जांजगीर तक मेरे वाहन में यात्री ढोने की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो संबंधित चालक का खबर लेता हूं।
निरनिधी नंदेहा, जपं सीईओ पामगढ़
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